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सांझ की नीरवता में , खामोशियों में
सिर्फ तुम्हारे साथ से
चहक उठता है ये कौतुहल मन
तुम्हारा स्पर्श
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सांझ की नीरवता में , खामोशियों में
सिर्फ तुम्हारे साथ से
चहक उठता है ये कौतुहल मन
तुम्हारा स्पर्श
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