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मेरे अंदर का मन मौन है...
मेरे बाहर जो आसमान बसता है वो उद्वेलित है..
मेरे अक्स में ढूँढता मुझे ये ज़माना क्षुब्ध है..
मेरे प्रारब्ध को समेटे मेरे ये सपने मेरे साथ हैं...
अब डर नहीं, किसी का इंतज़ार भी नहीं..
बस चलने को दिल बेसब्र है।
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