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वक़्त का क्या है, गुज़रता है, गुज़र जाएगा…

Manish HManish H August 25, 2023
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जो ख़ुशबू बनकर महकती हो

साँसों को आज बहकने दो

कल शायद इस सीने में,

फ़क़त धुआँ रह जाएगा.


वक़्त का क्या है,

गुज़रता है, गुज़र जाएगा...


ख्वाबों की तरह आती हो

मूंद कर पलकें छूने दो

कल शायद मर्ग-आग़ोश में,

यहीं लम्हा रह जाएगा.


वक़्त का क्या है,

गुज़रता है, गुज़र जाएगा...


जो हाथों मे तेरा हाथ है

उम्र-सफ़र यूँही चलने दो

कल शायद इन राहों पर,

कोई तन्हा रह जाएगा.


वक़्त का क्या है,

गुज़रता है, गुज़र जाएगा...


इन मासूम, नन्हे हाथों को

आज गले से लिपटने दो

कल शायद ये अक्स अपना,

अपना कहाँ रह जाएगा.


वक़्त का क्या है,

गुज़रता है, गुज़र जाएगा...


माना ख़ाक में मिल जाना है

कुछ अपना छोड़ जाने दो

कल शायद इन सितारों में,

कहीं निशाँ रह जाएगा.


वक़्त का क्या है,

गुज़रता है, गुज़र जाएगा...


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पलको में छुपाये रख्खे है

आँखों मे आज उभरने दो

कल शायद हर ख़्वाब अपना,

यूँही अश्क बन जाएगा.


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