
तुम्हारे जाने के बाद
सब वैसा ही रख छोड़ा है
तुम्हारे आने तक
जैसा छोड़ा था तुमने
तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारी खुशबू कमरों से कम न हो
इसका पूरा ख्याल रखा है
तुम्हारे जाने के बाद
सब खिड़कियां दरवाजे रोशनदान
यहां तक कि सुराख तक मूंद दिए
जिससे ना आ सके समाज
हवा के साथ
धूमिल ना कर सके तुम्हारी खुशबू
तुम्हारे जाने के बाद
चाय के डोंगे को
जमीन पर छपे तुम्हारे पैरों को
गर्दन पर उभरे होठों को
अब तक मिटाया नहीं है
बदचलन होने के डर से भी
मन अभी तक डरा नहीं है
तुमसे दूरियां बर्दाश्त कर रहा हूं
तुम्हारे प्रतीकों के सहारे
तुम्हारे जाने के बाद
बिस्तर की सिलवटें यथावत हैं
कंबल भी अभी तक धोया नहीं है
सिल्वटों पर तुम्हारी करवटें महसूस करता हूं
जैसे तुम करते हो
मेरा स्पर्श अपने बदन पर
तुम्हारी यादों में खोया रहता हूं
गाहे-बगाहे तुम्हें याद करता हूं
तुम पास तो नहीं हो मगर
तुमको भूल भी नहीं सका हूं
तुम्हारे जाने के बाद
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