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सफर दास्तान का जारी है...!
जिंदगी मौत की सवारी है...!!
अब के फूलो का रंग पीला है...!
कली से अंगारों की तय्यारी है...!!
सर्द-हवाओं ने रुख बदला है...!
अंदाजन मौसमी-बीमारी है...!!
ये जूते से झांकता अंगूठा...!
बाप होने की जिम्मेदारी है...!!
अच्छे लिबास में ये शहरी...!
अपनी आदत से भिखारी है...!!
लफ्जों की शमशीर में धार...!
इसकी हमको जानकारी है...!!
हिंदी भाषा और उर्दू जबां...!
दोनों मिसाल-ए-यारी हैं...!!
इल्म, सौदा, रूबाब,आबरू...!
तमाम गुस्ताखी हमारी है...!!
क्या करे! खुद का अर्ज-ए-हाल...!
वाकिफ हो तुम तो!ये जान तुम्हारी है...!!
@महिपाल राव:~
जिंदगी मौत की सवारी है...!!
अब के फूलो का रंग पीला है...!
कली से अंगारों की तय्यारी है...!!
सर्द-हवाओं ने रुख बदला है...!
अंदाजन मौसमी-बीमारी है...!!
ये जूते से झांकता अंगूठा...!
बाप होने की जिम्मेदारी है...!!
अच्छे लिबास में ये शहरी...!
अपनी आदत से भिखारी है...!!
लफ्जों की शमशीर में धार...!
इसकी हमको जानकारी है...!!
हिंदी भाषा और उर्दू जबां...!
दोनों मिसाल-ए-यारी हैं...!!
इल्म, सौदा, रूबाब,आबरू...!
तमाम गुस्ताखी हमारी है...!!
क्या करे! खुद का अर्ज-ए-हाल...!
वाकिफ हो तुम तो!ये जान तुम्हारी है...!!
@महिपाल राव:~
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