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आज जाने की ज़िद ना करो
आओ, बस यूंही साथ बैठो...
नहीं....कोई तकल्लुफ ना हो
बस तुम, तुम जैसे मिलो
कोई इश्क़ मोहब्बत की बात ना हो
कसमों वादों का ज़िक्र भी ना करो
थोड़े तुम्हारे शौक़ हों,
थोड़ी मेरी अटपटी ख्वाहिशें
मेरे अच्छे बुरे लम्हों का
एक अजनबी सा मुआयना करो...
जब तुमसे मिलने आऊं
छोड़ सारे जी के जंजाल
बिना किसी दिखावटी लिहाफ क
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