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दुनिया को सुदृढ़ दिखता हूं
कौन समझाए
मैं बिखरा भी हूं तो सिमटा हुआ सा...
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सब वैध होता है पुरुष के लिए,
स्त्री को नियमित रहना पड़ता है।
वो कुछ भी कह सकता है,
उसे सोचना नहीं पड़ता
हाय! कितनी लाचार स्त्री
तुझे हर जगह, हर बार,
सोचना पड़ता है...
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