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जब पहली दफा तुम पे नज़र गई तो देखता रहा,
फिर तुम्हें दोबारा देखने के बहाने ढूंढता रहा..
गली के नुक्कड़ पर खड़ा मैं जिससे तुम स्कूल जाती थी,
तुम्हारे पीछे चलते हुए तुम किसके घर की हो सोचता रहा..
मेरा उल्फ़त का एतराफ़ करना और तेरी नज़रें झुका लेना,
तुम क्या सोचोगी मेरे बारे बस इसी खौफ़ में रहा ..
ज़रा ज़रा सी बात पे रंजीदा हो जाती हो तुम,
मैं तुम्हारे शहर से दूर रह कर भी तुम्हारे प्यार में रहा..
मुझ सा महरूम ना होगा इस जहां में कोई ,
तू नहीं मिलेगी मुझे फिर भी पूरे ज़िंदगी तेरे इंतज़ार में रहा..
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