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सांसों की जमानत

लोकेश नदीशलोकेश नदीश February 13, 2023
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समझदार तो सिर्फ़ सियासत करते हैं
पागल हैं जो लोग, मुहब्बत करते हैं

ये तो सोचा नहीं दोस्ती में हमने
आगे चलकर दोस्त अदावत करते हैं

दिल से उसे भुला दें, गर है शर्त यही
सांसों की हम रद्द ज़मानत करते हैं

मिलता है अश्क़ों को देश निकाला जब
सपने, आँखें, नींद बग़ावत करते हैं

कोना तेरी यादों का महफूज़ रखा
इतनी, दिल के ज़ख़्म रियायत करते हैं

अपनी तुर्बत से अब चलो नदीश उठो 
मिट्टी से वो रोज़ शिकायत करते हैं

#लोकेशनदीश

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