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सोचती हूँ कभी,, बहती रहूँ यूं ही बेवजह.. ना हो टकराने का डर,, ना हो किनारे मिलने
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सोचती हूँ कभी,, बहती रहूँ यूं ही बेवजह.. ना हो टकराने का डर,, ना हो किनारे मिलने
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