“आशा”'s image
Share0 Bookmarks 49997 Reads1 Likes

आशा


एक दीप जला मन में

जैसे सूर्य चमकता तिमिर में

इतिहास रचने को आतुर

मैं मस्त पवन अम्बर में

बुदबुदा एक मुस्कुराहट का

सजा मेरे अधरों पर

शब्द मेरे नाम के

उकरे जब पाषाणों पर

निमित्त करते पूरे

सपनें मेरे जीवन के

जो पार कराते नैय्या 

चप्पू वो आशा के

नव-अध्याय लिखूँ अब

आशा की स्याही से

अब डर ना मुझे बंधन का

जब पंख लगे आशा के।


बस यही रहा सोच अब 

अपने मन-मशतिष्क में

कैसे एक राग बनाऊँ 

आशाओं के जीवन में 

जो दे एक जागृति मुझे

जो उफान दे शिथिल शिरा में

जो हुंकार भरे मेरे मन में

और टंकार भरे पुरंदर में

जिसे देख कौंधे बिजलियाँ

और फड़के भुजा मेरी

बस अब सुनाता 

कुछ शब्द

जो है समेटे निज में

चिंगारी मेरी आशा के लिए। 


बस 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts