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पाज़ेब को अपनी खनका ज़रा सा ही
की आये महक तेरे होने की ज़रा सा ही।
बिताए है पल तेरे संग ज़रा सा ही,
पन्नो पे स्याही भी गिरी तो ज़रा सा ही।
ख्वाइश नही मुझे मिले सारा जहाँ,
बेताब रहे तू मेरे लिए ज़रा सा ही।
सफ़ेद लिबास लपेट लूंगा एक दिन,
उससे पहले हो दीदार तेरा साकी जरा सा ही।
की आये महक तेरे होने की ज़रा सा ही।
बिताए है पल तेरे संग ज़रा सा ही,
पन्नो पे स्याही भी गिरी तो ज़रा सा ही।
ख्वाइश नही मुझे मिले सारा जहाँ,
बेताब रहे तू मेरे लिए ज़रा सा ही।
सफ़ेद लिबास लपेट लूंगा एक दिन,
उससे पहले हो दीदार तेरा साकी जरा सा ही।
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