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यह जीवन है एक चांद का टुकड़ा

अपनों का यह प्यारा मुखड़ा

इतना न्यारा की तारों सा प्यारा

मां का खूब दुलारा मुखड़ा

दुनिया का गवारा मुखड़ा

अपना एक सहारा मुखड़ा

कुछ पन्नों में सिमट कर बैठा

अच्छे दिनों की यादों में

काली रातों की परछाई में

उड़ने चाहत रखता

पता नहीं कब आग लगी

प्यारे दिन के उन सप

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