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तेरी जुदाई का आलम ही ऐसा था
हज़ारों के सय मे भी मैं अकेला था
और यू तो फ़क़त रौशनी थी मेरे घर में
मगर कोना-कोना घनघोर
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तेरी जुदाई का आलम ही ऐसा था
हज़ारों के सय मे भी मैं अकेला था
और यू तो फ़क़त रौशनी थी मेरे घर में
मगर कोना-कोना घनघोर
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