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तेरी जुदाई का आलम ही ऐसा था

Kumar UnnayanKumar Unnayan November 1, 2021
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तेरी जुदाई का आलम ही ऐसा था

हज़ारों के सय मे भी मैं अकेला था


और यू तो फ़क़त रौशनी थी मेरे घर में 

मगर कोना-कोना घनघोर

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