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आज फिर से खिल उठी हु मैं
कई अर्सो बाद जैसे उठ गयी हु मैं
वह पंछियों का चेहेकना
वह फूलों का मेहकना
वह मिटटी की सौंधी खुशबू
सब बारीकी से
महसूस कर रही हु मैं
आज आईने मैं
खुद को देख रही हु मैं
आज फिर से महक उठी हु मैं
आज हस पढ़ी हु मैं
आज थिरक रही हु मैं
आज जैसे खुदा ने एक बार फिर से मुझको मुझसे ही मिला दिया
आज जैसे जिंदगी को फिर से जीने लगी हूँ मैं .
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