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आज फिर से खिल उठी हु मैं 

कई अर्सो बाद जैसे उठ गयी हु मैं 

वह पंछियों का चेहेकना 

वह फूलों का मेहकना 

वह मिटटी की सौंधी खुशबू 

सब बारीकी से  

महसूस कर रही हु मैं 

आज आईने मैं  

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