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किसी संघर्ष के दौरान
ताप का शिकार हुई ज़मीं पर
जब ख़ून की छींटें पड़ती हैं
तब छनछना कर उठता है अराजकता का धुआँ...
पेड़ों पर गर्दन झुकाए आराम करते गिद्धों के
सिर उठ जाते हैं;
और इनका समूचा झुंड, पूरे पंख फैला कर
आसमाँ में करता है तांडव...
बेधड़क!
वहीं दूसरी तरफ़ एक गौरैया,
चोंच में धान का बीज दबाए
भागती है घोंसले की ओर
और किसी मासूम से बच्चे की तरह
डर से पंखों में छुपा लेती है मुँह अपना...
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