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माँ, तुम अनंत स्रोत हो ममता का
तुम अदम्य कोष हो क्षमता का
तुम वात्सल्य का निर्झर हो
तुम ईश्वर से भी ऊपर हो
जीवन मेरा सिंचित तुमसे
तुम पृथक नहीं किंचित मुझसे
तुम मेरे रग रग मे
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