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इक गुड़िआ थी सीधी साधी सी
छोटे से घर में रहती थी
जब प्यार मिले तो इठलाती
जब डांट पड़े सह लेती थी
उसे किसी से कोई शिकायत न थी
जबकि गिनवा दी जाती थी
उसको उसकी हर इक गलती
इक दिन इक राजकुंवर आया
बोला तुम हो कितनी सुन्दर
तुम मेरी रानी बन जाओ
फिर साथ रहेंगे दोनों मिलकर
गुड़िआ ने ना कर दी एकदम
पर राजा ना था कोई कम
विश्वास दिला कर रहा उसे
गुणवान बनी है वो सबसे
गुड़िआ को खुद पर गर्व हुआ
फिर बदल गयी दुनिया उसकी
बन गयी ख़ुशी अब हर सिसकी
राजा बोला तुम हो प्यार मेरा
पर और भी है संसार मेरा
छोटे से घर में रहती थी
जब प्यार मिले तो इठलाती
जब डांट पड़े सह लेती थी
उसे किसी से कोई शिकायत न थी
जबकि गिनवा दी जाती थी
उसको उसकी हर इक गलती
इक दिन इक राजकुंवर आया
बोला तुम हो कितनी सुन्दर
तुम मेरी रानी बन जाओ
फिर साथ रहेंगे दोनों मिलकर
गुड़िआ ने ना कर दी एकदम
पर राजा ना था कोई कम
विश्वास दिला कर रहा उसे
गुणवान बनी है वो सबसे
गुड़िआ को खुद पर गर्व हुआ
फिर बदल गयी दुनिया उसकी
बन गयी ख़ुशी अब हर सिसकी
राजा बोला तुम हो प्यार मेरा
पर और भी है संसार मेरा
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