अधूरा प्रेम's image
Share0 Bookmarks 49231 Reads2 Likes
सृजन का बीज हूँ मिट्टी में ज़्यादा रह नहीं सकता, 
तेरी ख़ातिर मैं दुनिया से जु़दा अब रह नहीं सकता |

कर लूँगा मैं जीवन मुक्कमल अपने तन मन से, 
अभी जीवन से ज्यादा पा लूँगा ये कह नहीं सकता | 

तेरे साथ में हो सकती थी ये दुनियाँ मुट्ठी में, 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts