Share0 Bookmarks 49488 Reads1 Likes
और फ़िलहाल खबर ये आ रही है की प्रेमचंद ने हिटलर को मार डाला। धारधार पेन की निब को गर्दन की नस में घोप दिया और हिलटर की गर्दन से सिरकटे मुर्गे की तरह लाल खून बहने लगा और चन्द पलों में हिटलर की मृत्यु हो गयी।
खबर ये है की प्रेमचंद को फांसी होगी होनी भी चाहिए ,शहर में दंगो का माहौल है और १०० लोगो के लापता होने की भी खबर है,
हम अब भी वजह जानने की कोशिश में है जिस कारण प्रेमचंद ने ऐसा कृत्य किया।
ये खबर आग की तरह फ़ैल गयी, हर कोई बस इसका जवाब खोजने में व्यस्त हो गए सबकी अपनी राय थी , कलमकारों ने इससे हिटलर की आपसी रंजिश का नतीजा बताया तो वाक्त्यवेत्ता इसे प्रेमचंद की मानसिक विकृति का नतीजा बताते है खैर जो भी हो खलिहर समाज को हल जोतने खातिर एक खली मैदान मिल गया जिसपे हर कोई अपने अंदाज़ में कुदाल चला रहा था।
तारीख़ तहरीर हुई प्रेमचंद ने अपने बचाव में बोला, "चूँकि मै कागज़ पर लिखता हूँ इसीलिए कागज़ पर लिखे को नहीं मानता।
अंत में फैसला आया वही आया जो आना चाहिए था प्रेमचंद को फांसी क सजा मिली और अगले ही दिन सुबह उसकी लाश की राख मछलियों क
खबर ये है की प्रेमचंद को फांसी होगी होनी भी चाहिए ,शहर में दंगो का माहौल है और १०० लोगो के लापता होने की भी खबर है,
हम अब भी वजह जानने की कोशिश में है जिस कारण प्रेमचंद ने ऐसा कृत्य किया।
ये खबर आग की तरह फ़ैल गयी, हर कोई बस इसका जवाब खोजने में व्यस्त हो गए सबकी अपनी राय थी , कलमकारों ने इससे हिटलर की आपसी रंजिश का नतीजा बताया तो वाक्त्यवेत्ता इसे प्रेमचंद की मानसिक विकृति का नतीजा बताते है खैर जो भी हो खलिहर समाज को हल जोतने खातिर एक खली मैदान मिल गया जिसपे हर कोई अपने अंदाज़ में कुदाल चला रहा था।
तारीख़ तहरीर हुई प्रेमचंद ने अपने बचाव में बोला, "चूँकि मै कागज़ पर लिखता हूँ इसीलिए कागज़ पर लिखे को नहीं मानता।
अंत में फैसला आया वही आया जो आना चाहिए था प्रेमचंद को फांसी क सजा मिली और अगले ही दिन सुबह उसकी लाश की राख मछलियों क
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments