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मीरा के आर्त स्वर में
लिपटी हुई ये साँझ
और आसमाँ में बिखरे हुए
शाम के ये अधूरे रंग
सामने मेज़ पे पड़ी
डायरी के पन्ने परलिखी हुईं
आधी अधूरी पंक्तियाँ
एक हाथ में आधी बची हुई
कॉफी का मग
तो
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