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तरन्नुम सा घुल जाता है फ़ज़ा में
गुनगुनाने लगता है ये मौसम
नसीम कोई छू कर मुझे
तुम्हारे लम्स के एहसास जगाती है
तितलियों की गुलों से सरगोशियां
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