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कभी जानिब से उसके भी नहीं आया कोई ख़त तो
जवाब-ए-ख़त सदा हमने दराज़-ए-दिल में ही रक्खा
-किरण के.
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कभी जानिब से उसके भी नहीं आया कोई ख़त तो
जवाब-ए-ख़त सदा हमने दराज़-ए-दिल में ही रक्खा
-किरण के.
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