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आओ हम कुछ पल मुस्काएं
क्यों ये घड़ियां व्यर्थ लुटाएं
वक्त का तो पता नहीं कुछ
इस पर फिर क्यों वक्त गवाएं
अच्छा सोच हृदय में रखकर
आशा के कुछ दिए जलाएं
बहुत हो चुकी काली रातें
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