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दरख़्त की शाखाएंँ
अभी भी मज़बूती के साथ
धर से जुड़ी हुईं हैं,और
धर को जड़ पर पूर्ण विश्वास है,
टहनियाँ रास्ते बदल-बदल कर
बस एक दूसरे से
आगे बढ़ने की कोशिश में हैं,
पर इसमें नया क्या है?
ये तो समयानुसार प्राकृतिक
घटनाएंँ हैं,
हाँ,ये देखना होगा कि
किसी को भी छाँव देने के
स्वभाव में कमी नहीं आए,
और जड़ पर कोई आघात न हो,
अगर हो,तो हमें दरख़्त के चारों ओर
दृढ़ता से रक्षा करने के लिए
दीवार बन कर खड़ा होना पड़ेगा।।
~राजीव नयन
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