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अभी आसमान बहुत है

Kavya SafarKavya Safar March 27, 2023
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क्यों ख़रीद लूंँ ज़रूरत से ज़्यादा
ये सोचकर की दुकान बहुत है?
क्यूँ बना लूंँ घर यूँ ही कहीं 
ये देखकर की मक़ान बहुत है?
क्यों खींचूँ खींची लकीरों को ही?
जबकि, 
विदित विचारों और अनुसंधानों से परे
अभी आसमान बहुत है।
~राजीव नयन

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