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अब की होली में रहा बे-कार रंग 

और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग 

- इमाम बख़्श नासिख़


मुँह पर नक़ाब-ए-ज़र्द हर इक ज़ुल्फ़ पर गुलाल 

होली की शाम ही तो सहर है बसंत की 

- लाला माधव राम जौहर


ग़ैर से खेली है होली यार ने 

डाले मुझ पर दीदा-ए-ख़ूँ-बार रंग 

- इमाम बख़्श नासिख़


सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका 

बिन होली खेले ही साजन भीग गया 

- मुसव्विर सब्ज़वारी


मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के 

हम से तुम कुछ माँगने आओ बहाने फाग के 

- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी


बहार आई कि दिन होली के आए 

गुलों में रंग खेला जा रहा है 

- जलील मानिकपूरी


बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल 

कुछ किसी का नहीं किसी को ख़याल 

- रंगीन सआदत यार ख़ाँ


पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसाल 

जिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं 

- कल्ब-ए-हुसैन नादिर


किस की होली जश्न-ए-नौ-रोज़ी है आज 

सुर्ख़ मय से साक़िया दस्तार रंग 

- इमाम बख़्श नासिख़


मुहय्या सब है अब अस्बाब-ए-होली 

उठो यारो भरो रंगों से झोली 

- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम


होली के अब बहाने छिड़का है रंग किस ने 

नाम-ए-ख़ुदा तुझ ऊपर इस आन अजब समाँ है 

- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम


डाल कर ग़ुंचों की मुँदरी शाख़-ए-गुल के कान में 

अब के होली में बनाना गुल को जोगन ऐ सबा 

- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी


बाद-ए-बहार में सब आतिश जुनून की है 

हर साल आवती है गर्मी में फ़स्ल-ए-होली 

- वली उज़लत


शब जो होली की है मिलने को तिरे मुखड़े से जान 

चाँद और तारे लिए फिरते हैं अफ़्शाँ हाथ में 

- मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी


वो तमाशा ओ खेल होली का 

सब के तन रख़्त-ए-केसरी है याद 

- फ़ाएज़ देहलवी


साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की 

हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की 

- उफ़ुक़ लखनवी


सहज याद आ गया वो लाल होली-बाज़ जूँ दिल में 

गुलाली हो गया तन पर मिरे ख़िर्क़ा जो उजला था 

- वली उज़लत


लब-ए-दरिया पे देख आ कर तमाशा आज होली का 

भँवर काले के दफ़ बाजे है मौज ऐ यार पानी में 

- शाह नसीर


ऐ जान-ए-आरज़ू मेरी हसरत निकाल दे,

थोड़ा सा रंग मेरी सिवइयों में डाल दे!



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