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हमारी उमरिया होली खेलन की।
पिय मोसों मिल के बिछुर गया हो॥
पिय हमरे हम पिय की पयारी।
पिय बिच अंतर परि गयो हो॥
पिया मिलैं तब जियों मोरी सजनी।
पिया बिना जियरा निकल गयो हो॥
इत गोकुल उत मथुरा नगरी।
बीच सगर पिय मिलि गयो हो॥
धरमदास बिरहिनि पिय पावै।
चरन कंबल चित गहिं रहो हो॥
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