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राम तुम्हारे युग का रावन अच्छा था
दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था
[प्रताप सोमवंशी]
क्या सितम करते हैं मिट्टी के खिलौने वाले
राम को रक्खे हुए बैठे हैं रावण के क़रीब
[असग़र मेहदी होश]
अब नाम नहीं काम का क़ाएल है ज़माना
अब नाम किसी शख़्स का रावन न मिलेगा
[अनवर जलालपुरी]
जब धरती पर रावण राजा बनकर आता है।
जो सच बोले उसे विभीषण समझा जाता है।
करने वाले की छेनी से पर्वत कट जाता,
शोर मचाने वाला केवल शोर मचाता है।
['सज्जन' धर्मेन्द्र]
हो सावधान इंसान अब, दोहरा चरित्र ये त्याग दो
हो सको जब राम जैसे, तब ही मुझे तुम आग दो।
त्याग दो तुम लोभ को, यह नीति का अनुबंध है
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