Share0 Bookmarks 221450 Reads0 Likes
आबशारों की याद आती है
फिर किनारों की याद आती है
जो नहीं हैं मगर उन्हीं से हूँ
उन नज़ारों की याद आती है
ज़ख़्म पहले उभर के आते हैं
फिर हज़ारों की याद आती है <
No posts
No posts
No posts
No posts
आबशारों की याद आती है
फिर किनारों की याद आती है
जो नहीं हैं मगर उन्हीं से हूँ
उन नज़ारों की याद आती है
ज़ख़्म पहले उभर के आते हैं
फिर हज़ारों की याद आती है <
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments