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दिनकर की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अंकुर मिश्रा (कविशाला संस्थापक) का खुला पत्र

Kavishala LabsKavishala Labs April 24, 2022
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प्रिय प्रधानमंत्री

श्री नरेंद्र मोदी जी,

नमस्कार

हिंदी की निंदा करना बंद किया जाए। हिंदी की निंदा से इस देश की आत्मा को गहरी चोट पहुँचती है।

ईर्ष्या सबसे पहले उसी को जलाती है जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। - दिनकर


आशा है आप सकुशल होंगे, देश की सभी परिस्थितियों से अवगत होंगे! देश में आज जो समस्याएं हैं चाहे गरीबी हो, धर्म को लेकर लड़ रहे लोगो की हो, देश में हो रहे दंगो की हो, चाहे महामारी की वजह से बेरोजगार लोगो की हो, चाहे किसानो की हो या फिर चाहे महामारी में मर रहे लोगो की हो, आप अपने मंत्रियो और कर्मचारियों के द्वारा वास्तविकता से अवगत होंगे! प्रधानमंत्री जी आपका बचपन से जो जीवन रहा है वह हम सबको मनोबल देता है, आप जिस मुकाम पर है, वह हमें एक विश्वास देता है की अगर साधारण इंसान देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो हम साधारण लोग भी जिंदगी में कुछ भी कर सकतें हैं!

आपको आज यह पत्र लिखने का मन इसलिये हुआ क्योंकि आज पुण्यतिथि है देश के एक असाधारण से साधारण कवि का, जिनको आप बहुत पसंद करते है और उनकी कविताओं को हमेशा अपने भाषणों में प्रयोग करते हैं! रामधारी सिंह 'दिनकर' - समय को साधने वाला कवि, जिन्हें ‘जनकवि’ और ‘राष्ट्रकवि’ दोनों कहा गया. उन्होंने देश के क्रांतिकारी आंदोलन को अपनी कविता से स्वर दिया. जितने सुगढ़ कवि, उतने ही सचेत गद्य लेखक भी. आज़ादी के बाद पंडित नेहरू और सत्ता के क़रीब रहे. लेकिन समय-समय पर सिंहासन के कान उमेठते रहे अभी हाल ही में आपने दिनकर की कविता की कुछ पक्तियों का जिक्र लेह में सैनिको के सामने उनका मनोबल बढ़ाने के लिए किया था:

"जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल!"


जो पूरी कविता इस प्रकार से है:


जला अस्थियाँ बारी-बारी

चिटकाई जिनमें चिंगारी,

जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर

लिए बिना गर्दन का मोल

कलम, आज उनकी जय बोल।


जो अगणित लघु दीप हमारे

तूफानों में एक किनारे,

जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन

माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल

कलम, आज उनकी जय बोल।


पीकर जिनकी लाल शिखाएँ

उगल रही सौ लपट दिशाएं,

जिनके सिंहनाद से सहमी

धरती रही अभी तक डोल

कलम, आज उनकी जय बोल।


अंधा चकाचौंध का मारा

क्या जाने इतिहास बेचारा,

साखी हैं उनकी महिमा के

सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल

कलम, आज उनकी जय बोल।




प्रधानमंत्री जी, मेरा नाम अंकुर मिश्रा है, मै कविशाला नाम की एक संस्था चलाता हूँ, जहाँ नए कवि व लेखक अपनी कविताओं और कहानियों को प्रकाशित करते हैं. साथ ही अन्य श्रेष्ठ साहित्यकारों की कविताएं, कहानियां व अन्य साहित्यिक रचनाओं को पढ़ कर उनसे सीखते हैं! हमारा प्रयास है की इन नए कवियों को हम किसी तरह से उनके कविताओं, कहानियों के जरिये धनोपार्जन करवा पायें! इन्ही कुछ प्रयासों के साथ कविशाला समाज और साहित्य सेवा में लगा हुआ है! प्रधानमत्री जी आप कविताओं और कहानियो का शौक रखते है और कभी कभी लिखते भी है! आप एक लेखक की मन की बात समझ सकते है!


मै कविशाला और देश के लाखो पाठको और लेखकों

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