
शब्दों के माध्यम से कहानी को चित्रित करने के लिए जानी जाती थी वो, जिन्हें हम कहते हैं अमृता प्रीतम। जिस कवयित्री ने जिंदगी की बारीकियों को अपनी कविताओं और कहानियों के रूप में इतनी खूबसूरती से दर्शाया, उसका खुद का जीवन दुख और दर्द का मिलन था। प्रीतम ने अपनी आत्मकथा, 'रसीदी टिकट' में अपने जीवन के निजी मामलों का साहसपूर्वक उल्लेख किया जो आज भी हमारे समाज की समझ से परे हैं।
उनकी कहानियां मशहूर थी बिछड़े हुए प्यार के दर्द को दर्शाने के लिए। 11 वर्ष की काम आयु में अपनी मां को खो देने की पीढ़ा ने प्रीतम का धर्म से विश्वास उठा दिया था, लेकिन इस हादसे के कष्ट ने उनके हाथ में कलम थमा दी और उन्होंने अपने दिल को शब्दों में उतारना शुरू किया।
उन्हें 16 वर्ष की आयु में एक स्थापित कवयित्री होने की उपलब्धि प्राप्त हुई। एक लंबे अरसे तक प्यार पाने की आशा को इस तरह अपने मन में सहेज के रखा कि अपना सारा दुख वो काग़ज़ पर उतारती गईं।
खोना क्या है उन्होंने तब जाना जब उन्होंने अपनी जिंदगी के अध्याय पन्नों पर उतारने शुरू किए, जिसने उन्हें इंसान बना दिया क्योंकि वह जीवन में आगे बढ़ने का आग्रह करती थी और जब तक वह जीवित रहीं अपने इसी सिद्धांत के साथ चलीं।
अपने विवाहित जीवन के दौरान उन्हें प्यार तो हुआ, मगर किसी और से। और हुआ भी तो उनसे जो खुद शब्दों से लोगों का दिल जीतने में माहिर थे। साहिर लुधियानवी, प्रीतम की पहली मोहब्बत। और मोहब्बत भी ऐसी थी कि लुधियानवी को दूर से देखना भर ही प्रीतम के लिए काफी था। मगर इतना टूट के प्यार करना लिखा भी तो उससे ही था जिसका मिलना तकदीर में नहीं था। हालांकि प्रीतम के लिए लुधियानवी का प्यार भी कुछ कम नहीं था, मगर ये सिलसिला कुछ ही समय का था, क्योंकि साहिर अपने और अमृता के रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चाहते थे। पर प्रीतम ने उन्हें प्यार करना कभी नहीं छोड़ा, और उनकी याद को अपने दिल में बसा लिया।
उनकी कहानी ने एक अलग मोड़ लिया जब वह इमरोज से मिली। उम्र में अमृता से 10 साल छोटे इमरोज एक कलाकार थे, जिन्होंने अमृता के जीवन में नए रंग भरे। इमरोज के लिए उनका प्यार एक ऐसा निस्वार्थ भाव था जिसका कोई नाम नहीं था। फिर भी एक अनदेखी डोर ने उन्हें 40 साल तक साथ बांध कर रखा।
समाज की रूढ़िवादी सोच को बदलने की कोशिश अमृता ने अपनी कविताओं और कहानियों में हमेशा की। प्यार के लिए लिखने वाली प्रीतम, जज़्बातों को शब्दों में पिरोना बखूबी जानती थीं।
प्रीतम प्यार की ऐसी छवि थीं जो उन्हें पढ़ने वालों के दिलो-दिमाग में हमेशा बसेंगी।
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