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डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम एक लेखक और कवि के रूप में!

Kavishala InterviewsKavishala Interviews October 6, 2021
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जो अपने दिल से काम नहीं कर सकते

वे हासिल करते हैं,

लेकिन बस खोखली चीजें,

अधूरे मन से मिली सफलता

अपने आस-पास कड़वाहट पैदा करती हैं!

-एपीजे अब्दुल कलाम



एक लेखक क्या लिखता है वो निर्भर करता है उसके मन में पनप रहे उसके सोच पर। अपने अनुभवों को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त करना और किसी के ऊपर अपनी बातों का एक गहरा छाप छोड़ देने वाला लेखक हमेशा स्मरणीय रहता है ,हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम एक ऐसे ही महान लेखक थे जिन्होंने अपने अनुभवों को शब्दों के माध्यम से पन्नो पर उतार कर लोगो तक पहुँचाया। भारत के पूर्व राष्ट्रपति जिन्हें दुनिया मिसाइलमैन के नाम से भी जानती है ,ने अपने जीवन में कई किताबें लिखी जिनमे अपने जीवन में आए उतार-चढाव, संघर्षों को लिखा और लोगो को प्रेरणा देने का कार्य किया। डॉ कलाम का मानना था कि हमे असफलता से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि किसी भी मनुष्य के लिए असफलता और शोक के बिच मिलने वाले प्रेरणा को ग्रहण करना आवशयक है।आज इस लेख में हम सृजन पाल सिंह जो एक लेखक हैं,अपने जीवन का एक वक़्त कलाम साहब के साथ व्यतीत किया है ,उनसे जानेंगे महान व्यक्तित्व डॉ कलाम के विचार प्रक्रिया और उनके लेखनी के पीछे के कुछ खास तत्वों को । जानने की कोशिश करेंगे कि कलाम साहब किस प्रकार के लेखक एवं कवि थे। हांलाकि इसकी व्याख्या करना इतना सहज नहीं होगा क्यूंकि कलाम जी एक महान शख़्सियत थे। पर एक कोशिश है उनकी विचारधारा को उनके पढ़ने वालों और चाहने वालों के समक्ष लाने कीसृजन पाल बताते हैं कि मैंने २००९ से कलाम साहब के साथ कार्य करना शुरू किया जिसके बाद २०११ में पहली किताब प्रकाशित हुई टारगेट ३ बिलियन (Target 3 Billion) जिस किताब में अब्दुल कलाम जी ने दुनिया की आधी आबादी के बारे में बताया जो गरीबी रेखा के निचे हैं और मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में रहते हैं ,ऐसे लोगो तक कैसे पहुंचा जाए और किस प्रकार से हम उन्हें मूल-भुत सुविधाएँ दे सकते हैं इन विषयों पर कलाम जी ने अपनी इस किताब में बात की । कलाम साहब का मानना था कि किसी भी किताब को लिखने से पूर्व आवशयक है अध्यन करना ,शायद यही कारण था कि उनके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान थी उनकी लाइब्रेरी जिसे वह अपनी धरोहर मानते थे। मुझे याद है किस तरह अगर उनकी एक भी किताब इधर से उधर हो जाती थी तो वे परेशान और विचलित हो जाते थे ,हाँ क्यूंकि वे किताबों को निचोड़ लेते थे कलाम साहब अक्सर कहते थे कि मैं किताबों से बातचीत करता हूँ जिसे मैं कभी खोना नहीं चाहता शायद यही कारण था कि वे किताबो में जगह जगह नोट्स बना कर रखा करते थे।

कलाम साहब ज़

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