
कविशाला संवाद 2021 : हिंदी और भारतीय प्रशासनिक सेवा -जितेंद्र कुमार सोनी

मैं व्यस्त हूँ परन्तु अस्त-व्यस्त नहीं
-जितेंद्र कुमार सोनी
देश के जाने माने आईएएस में विद्यमान आईएएस जो न केवल जनता के लिए जमीनी स्तर से कार्य करते हैं बल्कि उनकी हर समस्यायों को ख़त्म करना ही अपना लक्ष्य मानते हैं। जितेंद्र कुमार सोनी प्रशासनिक सेवा अधिकारी होने के साथ-साथ एक चर्चित लेखक भी हैं उनकी कई किताबें और काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही आपको बता दें वे एक अनुवादक भी हैं।
कविशाला संवाद में हिंदी और भारतीय प्रशासनिक सेवा पर चर्चा के दौरान उन्होंने कई गंभीर मुद्दों पर अपनी बात रखी।
सर ,जैसा की आप एक प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं आपकी तैनाती अलग -अलग जगहों पर होती होगी जहाँ से आपको नए अनुभव मिलते होंगे ,ये अनुभव कैसे सहायक हैं आपकी लेखनी में?
जवाब में सोनी जी बताते हैं नए लोगो से मिलते रहने से अनुभवों का दायरा बढ़ता है हम नए नए क्षेत्रों में कार्य करते हैं कई अनुभव मिलते हैं और निश्चित रूप से वही अनुभव शब्दों के रूप में अभिवयक्त भी होते हैं। दो लेखकों में फर्क बताते हुए वह कहते हैं एक लेखक जो एक जगह पर ही रहकर लिख रहा है वही दूसरा जो नयी नयी जगह पर जा रहा है उसके शब्दों में नवीनता होगी क्यूंकि वो जो लिख रहा है उसने उसे जमीनी रूप से महसूस किया है आगे बढ़ते हुए वो बताते हैं कि लेखक के लिए जरुरी है कि वो ठहरे नहीं क्यूंकि ठहराव पानी का हो या विचारों का वह अच्छा नहीं होता लेखनी के लिए अनुभव जरुरी है ।
सर जहाँ आपके ऊपर इतनी बड़ी जिम्मेदारियां हैं जिन्हे आप कौशलता से पूरा करते हैं वही सर आप लेखनी भी करते हैं ,सर आप समय प्रबंधन कैसे करते हैं क्यूंकि लेखनी के लिए आवशयक हो जाता है समय निकलना ।
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ जितेंद्र कुमार सोनी कहते हैं की मैं वयस्त हूँ मगर असत-वयस्त नहीं। आगे वे लेखनी को एक प्रक्रिया बताते हैं जो एक बीज की तरह जनन होती है ,बताते हैं की जब भी उनके दिमाग में कुछ भी १ या २ पंक्ति भी आती है तो वे उसे अपने फ़ोन में लिख लेते हैं और बाद में उसे पूर्ण करते हैं। साथ
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