हिंदी फ़िल्मी जगत में कलम के जादूगर माने जाने वाले जावेद अख्तर......

हिंदी फ़िल्मी जगत में कलम के जादूगर माने जाने वाले जावेद अख्तर अपने गीत, ग़ज़ल, फिल्म संगीतकार, एवं स्क्रीनराइटर के तौर पर फ़िल्मी दुनिया में जाने जाने वाले एक जाना माना नाम हैं और यही नहीं जावेद अख्तर साहित्ये जगत की भी बड़ी हस्ती हैं। बॉलीवुड के बेहतरीन फिल्मे जैसे की शोले, जंजीर, दीवार इत्यादि फिल्मो के पटकथा को भी जावेद अख्तर ने अपने साथी और एक बेहतरीन पटकथा लेखक सलीम खान के साथ मिलकर लिखा है। और जावेद अख्तर को साल 1999 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरुस्कार पदम् श्री से भी नवाजा जा चूका है। इसके अलावा बेस्ट गीतकार के लिए कुल 5 बार राष्ट्रीय पुरुस्कार जित चुके है, एवं बेस्ट लिरिक्स के लिए कुल 7 बार फिल्मफेयर पुरुस्कार जित चुकेजावेद अख्तर राज्य सभा के संसद भी रह चुके है। और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी एक प्रसिद्ध पर्सनालिटी है। कई बार पॉलिटिकल मामलो में बोलने के कारण जावेद अख्तर मीडिया के निशाने पर भी आ चुके है। डेमोक्रेसी और फ्री थिंकिंग को बढ़ावा देने के लिए इन्हे साल 2020 में रिचर्ड डॉकिन्स अवार्ड से भी नवाजा गया था। अगर हम आपको जावेद अख्तर जी के बारे में बतायें तो उनका जन्म हार्ट ऑफ़ इंडिया कहे जानेवाले राज्य मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 17 जनवरी 1945 को हुआ था। इनके पिता जन निशार अख्तर अपने ज़माने के बॉलीवुड के मशहूर कवी एवं गीतकार थे। एवं माँ सफ़िया अख्तर एक मशहूर लेखिका एवं शिक्षिका थी। इनके दादाजी मुज़्तर खैराबादी भी अंग्रेज के ज़माने के कवी थे। और यही वजह हैं की शेरो शायरी, गीत, संगीत, उर्दू साहित्य से इनके परिवार का वास्ता पीढ़िया दर पीढ़िया रही है। इस वजह से इनका भी इस सब चीजों में बचपन से ही मन लग गअगर हम आपको बता दें कि जावेद अख्तर के सर से उनकी मान का साया बचपन में उठ गया था इन्होने अपना बचपन अपन नाना-नानी का घर लखनऊ में बिताया, उसके बाद इन्हे इनके मौसी के घर अलीगढ भेज दिया गया। जहाँ से इन्होने अपनी शुरुआती पढाई लिखाई पूरी की। इनके माँ के इंतकाल के बाद इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। और जावेद भी अब अपने सौतेली माँ के पास भोपाल में रहने लगे। और भोपाल के ही सैफिया कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। बचपन की दिनों से ही जावेद पाकिस्तानी लेखक Ibn-e-Safi’s (असरार अहमद) के उर्दू नॉवेल से काफी प्रभावित थे। इसके आलावा जावेद कई सारी डिटेक्टिव नोवेल्स जैसे की जासूसी दुनिया, द हाउस ऑफ़ फियर इत्यादि पढ़ा करते थे । ये सब पढ़कर जावेद ने अपना बचपन गुजारा जिसके वजह से इनका इंटरेस्ट शेरो शायरी, ग़ज़ल, गीत, संगीत, की दुनिया में धीरे धीरे बढ़ता चला जावेद की फ़िल्मी दुनिया में एंट्री हुई सरहदी लुटेरा फिल्म से जहाँ पर ये क्लैपर बॉय के तौर पर काम कर रहे थे। यही पे इनके मुलाकात सलीम खान से हुई। इस फिल्म के निर्देशक एस.एम. सागर एक स्क्रीनराइटर के तलाश में थे। और ये तलाश जा कर ख़त्म हुई जावेद अख्तर पर। जिसे जावेद ने तुरंत हाँ कर दी। इस फिल्म में साथ काम करते करते सलीम खान और जावेद अख्तर की अच्छी खाशी दोस्ती हो गयीऔर धीरे धीरे ये दोस्ती गहरी होती चली गयी। बाद में यही जोड़ी सलीम-जावेद के नाम से मशहूर हो गयी। इस जोड़ी के द्वारा कमाल के फिल्म के पटकथा लिखे गए। शोले, जंजीर, दिवार, हाथी मेरा साथी, सीता और गीता, यादों की बारात, डॉन इत्यादि फिल्मो की पटकथा लिख सलीम जावेद की जोड़ी ने बॉलीवुड में कहर मचा दिया थहिंदी सिनेमा जगत में इस जोड़ी को सबसे सफलतम पटकथा लेखक के तौर पर माना जाता है। हालाकिं ये जोड़ी साल 1982 में टूट गयी थी।इसके बाद जावेद अख्तर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने जादुई कलम से हिंदी फ़िल्मी दुनिया में काफी प्रसिद्ध पायी। अब जैसा कि आप जानते हैं कि जावेद अख्तर एक शायर भी हैं तो उनकी बहुत सी फेमस शायरी सोशल मीडिया पर देखने को मिलती हैं जिसमे से एक ये है ..
मुझे गम है की मैंने जिंदगी में कुछ नहीं पाया
ये गम दिल से निकल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ
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