साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत ओड़िया भाषा के प्रसिद्ध साहित्यका गोदावरीश मिश्र का जन्म आज ही के दिन १८१६ को पुरी, उड़ीसा में एक ब्राह्मण के घर हुआ था। प्रख्यात लेखक होने के साथ-साथ गोदावरीश मिश्र एक समाज सुधारक एवं कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने विविध विधाओं में कविता, नाटक, उपन्यास, कहानियाँ तथा जीवन चरित्र आदि लिखे हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने 1941 में उड़ीशा के शिक्षामंत्री और वित्तमंत्री का पद भी सम्भाला था।
समाजवादी सोच रखते थे गोदाबरीश मिश्र:
मिश्र जी ने हमेशा से समाज की विसंगतियों और बुराइयों के विरुद्ध आवाज उठाई। समाज सेवा की भावना गोदावरीश मिश्र के अन्दर आरंभ से ही थी। समाज में पैर जमा चुकी बहुत-सी रूढ़ियों का पालन न करने के कारण उन्हें सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ा जिसकी भी उन्होंने कोई परवाह नहीं की। वे एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार से थे लेकिन वे समाजवादी थे। उनके विचार अलग थे ,उन्होंने जाति और पंथ को स्वीकार नहीं किया। एक ब्राह्मण होते हुए उन्होंने ब्राह्मणो द्वारा धारण किया जाने वाला अपना पवित्र धागा उतार दिया और मूंछें भी रखने लगे जो ब्राह्मण जाति के विरूद्ध थी।
जब डिप्टी कलेक्टर की नौकरी को किया अष्विकार :
उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपने आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड और अमेरिका जाने का अवसर मिला पर उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। अपने देश के प्रति उनके भाव का पता इसी से लगाया जा सकता है कि जब भारत की ब्रिटिश सरकार उन्हें डिप्टी कलेक्टर की नौकरी दे रही थी तब उस नौकरी को अष्विकार कर उन्होंने उसके स्थान पर पं. गोपबन्धु द्वारा स्थापित ‘सत्यवादी स्कूल’ में 30 रुपये प्रतिमाह वेतन पर अध्यापक बनना स्वीकार किया। राष्ट्रीय नवजागरण के क्षेत्र में भी गोदावरीश मिश्र की लेखनी का बड़ा योगदान रहा।
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