
1930 के दशक में महिला सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण -कमलादेवी चट्टोपाध्याय

"मुझे लगता है महिलाओं की भागीदारी 'नमक सत्याग्रह' में होनी ही चाहिए और मैंने इस सम्बन्ध में सीधे महात्मा गांधी से बात करने का फैसला किया है।"
-कमलादेवी चट्टोपाध्याय
आज महिलाओं को सभी अधिकार सम्मान पूर्वक दिए जाते हैं अधिकार शिक्षा का हो नौकरी का या चुनाव में वोट देने या स्वयं चुनाव लड़ने का। पर १९३० दशक का वो वक़्त जब महिलाओं को परदे के पीछे घरों की चार दीवारिओं के भिरत केवल खाना बनाने और घरों के कार्य करने लायक समझा जाता था उस दौर में एक ऐसी महिला परदे को चीरती हुई समाज के समक्ष महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर आई जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी का बेडा उठाया और महिलाओं को जागरूक करने का कार्य किया। सामाज में एक क्रांति लाने का कार्य किया हम बात कर रहे हैं चुनाव में खड़ी होने वाली स्वप्रथम भारतीय महिला की जो एक समाजसुधारक , स्वतंत्रतासेनानी तथा लेखक थीं कमलादेवी चट्टोपाध्याय । गांधीवादी विचारधारा रखने वाली कमलादेवी १९२३ में असहयोग आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए लन्दन से भारत लौटी थीं जिसके बाद उनकी मुलाकात मार्गेट कजन्स से हुई जो काफी प्रभावशाली रही। कमलादेवी ने कजन्स द्वारा स्थापित संस्था ऑल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस (all india womens conference ) के महासचिव की ज़िम्मेदारी संभाली। उस वक़्त में महिलाओं को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं था ऐसे में कमलादेवी ने महिलाओं को चुनाव लड़ने का अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष किया जो सफल हुआ और १९२६ में मद्रास प्रांतीय विधान परिषद् के लिए चुनावों के ऐलान होने से पूर्व महिलाओं को भी सम्मानपूर्वक चुनाव लड़ने का अधिकार मिला। हांलाकि कमलादेवी वो चुनाव जीत नहीं पाई परन्तु उनकी सबसे बड़ी जीत महिलाओं को मिला उनका अधिकार ही था।
कमलादेवी के पति एक बहुत प्रसिद्ध नाटककार और कवि थे कमलादेवी चट्टोपाध्याय - ए बायोग्राफी किताब में लेखक रीना निंदा ने हर घटना को विस्तारपूर्वक लिखा है कैसे चुनाव लड़ने की अनुमति मिलते ही कमलादेवी के पति ने सभी के साथ मिलकर कई अलग-अलग नाटकों व् गीतों से जोरदार प्रचार किया था। इसका बाद १९२७ -१९२८ में कमलादेवी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की सदस्सय बनी। नारीवादी कमलादेवी ने समाज में पसरी कई विसंगतिओं को जड़ से खत्म करने के लिए संघर्ष किया बालविवाह जैसी कुप्रथा के विरूद्ध सहमति की उम्र जैसे कानूनों को लागू करने की मांग की। रजवाड़ों में आंदोलन पर कांग्रेस की निति तय करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। कमलादेवी की महिलाओं को लेकर जागरूकता का अनुमान इसी घटना से लगाया जा सकता है जब वे महात्मा गांधी के 'नमक सत्याग्रह आंदोलन' में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करवाने के लिए महात्मा गांधी से मिलने तत्काल ट्रैन में चढ़ गई थी जब महात्मा गांधी अपने सफर पर कहीं जा रहे थे। इतना ही नहीं कमलादेवी इतनी साहसी महिला थीं कि वे नमक सत्याग्रह के बाद 'फ्रीडम
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