आहत's image
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कैद की साँस मे
तन पे छायों का डेरा
खुले आसमान मे
यूँ अचानक बादलों का फेरा
नरम नरम आहटें
कहीं आदत ना कर दे
सम्भल के पाँव रखना
कहीं आहत ना कर दें

रौशनी के गुबार मे चाँदनी भर रही
टिमटिमातें तारों की लड़ी लग रही
यूँ अचानक किधर से हवा आ गयी
बूँद बादल भरे रात झिलमिल हो गयी

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