
इन दिनों चर्चा चल रही है,
देश के वीर सपूतों के बारे में।
उनकी मिट्टी के बारे में,
उनके जीवन के बारे में।
पर भूल जाते है लोग,
अपनी संस्कृति को।
आपने भाव को,
अपनी विरासत को।
वो बाते कर रहे है,
साहित्यकारों के बारे में।
उन्हें रुचि नहीं है इस प्रकथन से,
उन्हें रुचि है अपने नाम से ।
आज के समय में नाम मायने रखता है,
विचार जैसे बदल जाते है,
ठीक उसी प्रकार उनके विचार भी।
जो खोखले होते जा रहे है,
वीर के परिवारों को साल में एक बार माला पहनाकर।
फिर चले जाते है किसी वादी में,
हालात से बेबस उस परिवार की कहानी।
जो आज तक नहीं सुलझी,
शायद सुलझाया न गया।
कई दिनों देखे गए है शहीदों घर पर,
वही लोग वही अंदाज सिर्फ बोल बदले।
मिलते है लोग आजकल,
शहीदों के परिवार के घर को तोड़ने,
मिलते है आजकल लोग।
आपने धर्म की स्थापना के लिए,
जनपद का नारा लगाते।
मिलते है लोग आजकल,
हरताली मोर पर।
जहां कभी क्रांति की मशाल जलती थी,
आज कल राजनेता मिलते है जुमले लिए।
आज के समय में समझना मुस्किल है,
धरोहर को बचाएं रखने की कथा।
शहीदों के सम्मान के बारे में,
बेहतर शिक्षा को पाने में।
आजकल समझना मुश्किल है।
जो कभी सुना ही नहीं,
उस कहानी को समझना।
बड़ा आसान हो जाता है,
जब किसी को आहत किया जाता है तो।
इस मुल्क में शहादत का कोई मोल नहीं,
मोल है तो बस अपनी कृतियां सुनना।
आज के समय में कुछ भी पढ़ा नहीं जाता,
सिर्फ सुने जाते है नेताओ से झूठे जुमले।
आज की कोशिश है अंग्रेजो जैसे,
फुट डालो शासन करो की नीति।
आज कल मंच पर गीत कोई नहीं सुनता,
सिर्फ सुनते है तो छोटे मोटे जुमले।
कुछ ऐसे कथन जो कभी नहीं सुना होगा,
नहीं कभी पढ़ा होगा।
वही गीत जो आजतक अजनबी है,
आपकी व्यथा और मेरी कहानी की तरह।
आपने मुझे सुना,
वो आपके लिए जुमला है।
समझ गए तो आज का समाज,
नहीं समझे तो देश की विरासत।
कवि अमन कुमार शर्मा
हिंदी विभाग सदस्य भागलपुर विश्वविद्यालय
हिंदी विभाग सदस्य राजभाषा बिहार सरकार
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