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सूख चुके आँखो में पानी
अब कौन भरने आएगा?
जो शहीद हुए उनकी कुरबानी
अब कौन हमें बताएगा?
कवि प्रदीप के चिंतन पर
दीदी का रूदन ना होगा।
ए मेरे वतन के लोगों
यह गीत अब नहीं रहेगा।
जब घायल हुआ हिमालय,
और खतरे में पड़ी आज़ादी।
कौन कहेगा वह कथा-प्रलय,
जब शेष नहीं है शक्तिवादी।
सब कोयल की कूकी छूटी,
नीलकंठ हुआ मूक-बधिर।
माँ ज्ञानदा की वीणा टूटी,
सात स्वर हुआ अस्थिर।
~ कवि अगम मिश्र
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