लता जी पर कविता's image
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सूख चुके आँखो में पानी

अब कौन भरने आएगा?

जो शहीद हुए उनकी कुरबानी

अब कौन हमें बताएगा?


कवि प्रदीप के चिंतन पर

दीदी का रूदन ना होगा।

ए मेरे वतन के लोगों

यह गीत अब नहीं रहेगा।


जब घायल हुआ हिमालय,

और खतरे में पड़ी आज़ादी।

कौन कहेगा वह कथा-प्रलय,

जब शेष नहीं है शक्तिवादी।


सब कोयल की कूकी छूटी,

नीलकंठ हुआ मूक-बधिर।

माँ ज्ञानदा की वीणा टूटी,

सात स्वर हुआ अस्थिर।


~ कवि अगम मिश्र

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