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याद तुमको भी आता हूँ क्या मैं?
बिलकुल वैसे ही, जैसे तुम मुझे याद आते हो,
याद तुमको भी आता हूँ क्या मैं?
वैसे मैं वो ही हूँ जो...
जो कभी तुम्हारे साथ पढ़ता था,
मुझसे एक रोज़ मेरी कॉपी भी तो माँगी थी तुमने,
और मेरी लिखावट की तारीफ़ भी की थी,
और वो झगड़ना मेरे साथ!
शायद! तुम भूल गए होगे!
याद अब कहाँ आता हूँगा मैं!
कुछ अरसे बाद फिर तुमसे मिलना हुआ था,
पल दो पल ठहरे भी थे तुम,
कुछ बातें भी हुई थी,
और फिर चल दिए थे अपनी राह,
या फिर मैंने ही अपनी बेवक़ूफ़ी में,
शायद! खो दिया था तुम्हें,
पर यक़ीं मानो...
जिस
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