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तुम तड़प कर के और हम मचल कर के देखें,
चलो दूर कुछ और चल कर के देखें
बहुत रह लिए दूरियों मे सिमट कर,
अब...
गलतफहमियों से निकल कर के देखें
चलो दूर कुछ और चल कर के देखें
ठोकरें लाज़मी हैं मोहब्बत में लेकिन
चलो आज फिर से सँभल कर के देखें
जमी बात होंठों की शायद जो कह दें
साँसों से हम-तुम पिघल कर के देखें
मिले कृष्ण-राधा न ही हीर-रांझा..
चलो हम ये दुनिया बदल कर के देखें
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