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पर्यावरण और हम
शरीर और रूह जितने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है
रसोई गैस सस्ती जरूर होनी है
क्युंकी भड़ती गरमी में पराठे
खुली धूप में ही सिकने है
सोने के गहने अभी ख़ूब सस्ते है
वो दिन दूर नहीं
जब पेड़ भी गहनों से मेहंगे बिकने है
पर्यावरण और हम
शरीर और रूह जितने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है।
शरीर और रूह जितने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है
रसोई गैस सस्ती जरूर होनी है
क्युंकी भड़ती गरमी में पराठे
खुली धूप में ही सिकने है
सोने के गहने अभी ख़ूब सस्ते है
वो दिन दूर नहीं
जब पेड़ भी गहनों से मेहंगे बिकने है
पर्यावरण और हम
शरीर और रूह जितने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है
जो तवज्जो न दी इसे
हम ज्यादादेर न टिकने है।
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