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Peace PoetryPoetry1 min read

जो बन पाया वो तुल गया नसीबो से...

Kapileshwar singhKapileshwar singh May 1, 2022
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जो बन पाया वो तुल गया नसीबो से

जो बन न पाया वो रह गया उम्मीदो का

मैं एक इंसानी सिक्का खनकता रहा कुछ बन पाने के बाजारो में

मन की सब इच्छाओ का इन्ही बाजारो में सरेआम कत्लेआम हुआ

मै न चाहकर भी बना एक मोहरा जो बना कातिल खुद की इच्छाओ का

जिस्का दर्ज भी न जुर्म और ना ही कही पर नाम हुआ

मै इस भड़

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