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बोझ पत्थरो का पहाड़ पर कभी होता हे क्या
पूछो बाप से वो चेन से कभी सोता हे क्या
उम्र कट जाती हे अपनो को कमाते कमाते
कोई पूछता भी नहीं की वो कभी अकेले में रोता हे क्या
उम्मीद एक ही पेड़ से सभी फलो की करते हो
भला एसा पेड भी कहीं होता हे क्या।
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