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ज़िद पर अड़े रहे अगर तो,
समाधान कोई नहीं।
कर्तव्य न हो जब तक,
अधिकार की पात्रता भी नहीं।
मन, बुद्धि और अहंकार में,
एकता का रास्ता दिखत
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ज़िद पर अड़े रहे अगर तो,
समाधान कोई नहीं।
कर्तव्य न हो जब तक,
अधिकार की पात्रता भी नहीं।
मन, बुद्धि और अहंकार में,
एकता का रास्ता दिखत
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