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" यहाँ हर तिनका लेता आकार "
- कामिनी मोहन।
यहाँ हर तिनका लेता आकार
सुख निकेतन का देता संसार।
एक घरौंदा और उसमें
चीं-चीं की आवाज़
उड़ता भय पहन अनंत साज़।
तिनको ने ताकत अंगीकार किया
हवा के बल पर उड़ना अस्वीकार किया।
अरण्य में है कोमल श्रृंगार
हरितमय देह सुकोमल आकार।
वृक्ष-झाड़ की छाँव तले
है तिनको का संसार पले।
उजड़ते-बनते टूटते बिखरते
संघर्ष करते
जीवन को जीवन देते
श्रेय-प्रेय मंगल है करते।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
- कामिनी मोहन।
यहाँ हर तिनका लेता आकार
सुख निकेतन का देता संसार।
एक घरौंदा और उसमें
चीं-चीं की आवाज़
उड़ता भय पहन अनंत साज़।
तिनको ने ताकत अंगीकार किया
हवा के बल पर उड़ना अस्वीकार किया।
अरण्य में है कोमल श्रृंगार
हरितमय देह सुकोमल आकार।
वृक्ष-झाड़ की छाँव तले
है तिनको का संसार पले।
उजड़ते-बनते टूटते बिखरते
संघर्ष करते
जीवन को जीवन देते
श्रेय-प्रेय मंगल है करते।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
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