
Share0 Bookmarks 116 Reads1 Likes
प्रेम है अपने अनावृत रूप में
सदैव विद्यमान कुछ और नहीं
सिर्फ़ एक भावना, एक अनुभूति
की तरह एक ख़ालिस कविता।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
सदैव विद्यमान कुछ और नहीं
सिर्फ़ एक भावना, एक अनुभूति
की तरह एक ख़ालिस कविता।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments