कुछ अधूरा-सा है
-© कामिनी मोहन।'s image
Poetry1 min read

कुछ अधूरा-सा है -© कामिनी मोहन।

Kamini MohanKamini Mohan August 4, 2022
Share0 Bookmarks 48094 Reads1 Likes
मैंने सिर्फ़ सोचा और 
वो ख़ुशबू मेरे ज़ेहन में ताज़ा हो गई है।

धूप नहीं है
कुछ मिट्टी छिटकी हुई है
बारिश अभी पूरी तरह से हुई नहीं है।

गंध अभी घेरे में है
मोड़कर रखा रूमाल जेब में पड़ी हुई है।

इत्र बंद है उसमें

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts