
Share0 Bookmarks 159 Reads1 Likes
ख़्याल द्रुत हो या कि विलंबित,
सुने हम हर्षनाद निनाद हर कहीं।
सुरभित वसंत न हो खण्डित,
धवल पुष्प व्यापित हो हर कहीं।
रंजित वर्जित कुछ भी हो भले कहीं, No posts
जीवन रुके नहीं चलता रहे हर कहीं।
No posts
No posts
No posts
Comments